– बगरू के मंदाऊ स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के बाहर तीन दिन से धरने पर बैठे ग्रामीण और विद्यार्थी, प्रिंसिपल का तबादला रद्द करने की मांग
जयपुर। बगरू विधानसभा के मंदाऊ गांव स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल अशोक कुमार मीणा का तबादला रद्द कराने को लेकर ग्रामीण और विद्यार्थी तीन दिन से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। ग्रामीणों ने तीन दिन से स्कूल के ताला लगा रखा है और बाहर ही टैंट लगाकर प्रिंसिपल का तबादला करने का विरोध कर रहे हैं। मंदाऊ के पूर्व सरपंच कैलाश शर्मा का कहना है कि एक तरफ तो सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ हमने बेटियों को पढ़ाने के लिए गांव में ही स्कूल बनवा दिया तो वहां से प्रिंसिपल का तबादला कर दिया। इनका कहना है कि सरकार को शिक्षा को तो कम से कम राजनीति से दूर रखना चाहिए। कैलाश शर्मा का कहना है कि प्रिंसिपल अशोक कुमार मीणा ने अपने अथक प्रयासों से हमारे गांव में शिक्षा का स्तर सुधार दिया। बोर्ड का रिजल्ट सौ फीसदी रहा है और कई छात्राओं के बोर्ड में 90 फीसदी से भी ज्यादा आए हैं। इनका कहना है कि प्रिंसिपल अशोक कुमार मीणा के चले जाने से यहां पर फिर से ही पहले जैसे हालात हो जाएंगे।
इसलिए प्रिंसिपल के तबादले का कर रहे विरोध


ग्रामीणों के साथ धरना दे रहे पूर्व सरपंच कैलाश शर्मा का कहना है कि प्रिंसिपल अशोक कुमार मीणा ने कड़ी मेहनत करके विद्यार्थियों को सरकारी स्कूल में ही अच्छी शिक्षा दी। उससे पहले ज्यादातर लोग बच्चों को निजी स्कूलों में भेजते थे। प्रिंसिपल अशोक कुमार मीणा के जज्बे को ही देखकर ही ग्रामीणों ने 4500 वर्गमीटर जमीन स्कूल के लिए दी और उस पर 3.25 करोड़ का भवन भी बनवा दिया। जब भवन बन रहा था, तब प्रिंसिपल रात को 12 बजे तक मौके पर मौजूद रहते थे। ऐसे में ये प्रिंसिपल चले गए तो दूसरे आने वाले सिर्फ अपनी नौकरी ही करेंगे। वे विद्यार्थियों पर इतना ध्यान नहीं देंगे, जितना वर्तमान प्रिंसिपल देते हैं। क्योंकि, इनके प्रयासों से ही गांव में नई स्कूल बनी है। इसलिए स्कूल और विद्यार्थियों से इनका भावनात्मक जुड़ाव भी है।
…तो टीचर लगाकर भवन में चलाएंगे निजी स्कूल

ग्रामीणों का कहना है कि हमने 20 करोड़ रुपए की सरकारी स्कूल बना दी, क्या सरकार हमारी प्रिंसिपल का तबादला रद्द करने की बात भी नहीं मानेगी। यदि ऐसा है तो फिर हम भविष्य में सरकार से क्या उम्मीद करें। अभी हमने स्कूल की जमीन और भवन सरकार को नहीं दिया है। यदि सरकार हमारी मांग नहीं मानती है तो हम हमारी जमीन पर बने सरकारी स्कूल को नहीं चलने देंगे। हम इस स्कूल को प्राइवेट में तब्दील कर देंगे। जब जमीन देकर स्कूल बनवा सकते हैं तो क्या प्राइवेट टीचर लगाकर स्कूल नहीं चला सकते।
सरकार स्कूल तो बनवाती नहीं, स्टाफ लगाने में मनमानी करती है

ग्रामीणों का कहना है कि गांव में सरकारी स्कूल 1962 में बना था। वह जीर्ण-शीर्ण हालत में है और उसमें 5 कमरे हैं। उसमें हमेशा हादसे का अंदेशा रहता था और बड़ी स्कूल चल भी नहीं सकती। उस समय भी हमारे बुजुर्गों ने स्कूल के लिए जमीन दी थी। इस बार हमने भी जमीन दी है। ग्रामीणों ने निजी स्कूल से भी अच्छी स्कूल बनवा दी है। स्कूल का दो साल से बोर्ड का रिजल्ट भी शत-प्रतिशत जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार स्कूल तो बनवाती नहीं है और स्टाफ लगाने में जरूर मनमाती करती है। उन्होंने कहा कि सभी को पता है कि प्रदेश में कई जगह अभी भी पेड़ों के नीचे बच्चों को पढ़ाते हैं।
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