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भरतपुर जिले में तेज बारिश से नींबू की फसल धड़ाम, नहीं मिल रहा दाम, मुआवजे की मांग

–  छौंकरवाड़ा में अतिवृष्टि से नींबू की फसल बर्बाद, मंडी में नहीं मिल रहा उचित दाम

छौंकरवाड़ा (भरतपुर)। भरतपुर जिला सहित प्रदेशभर में हुई तेज बारिश ने अन्नदाताओं के चेहरे मुरझा दिए हैं। जिले के छौंकरवाड़ा में तेज बारिश से नींबू की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। तेज बारिश से नींबू गल गया है। इस वजह से किसानों को मंडी में नींबू की फसल के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं। वहीं दूसरी जगह भेजने पर खर्चा लगता है, फिर यदि वहां भी दाम नहीं मिले तो दोगुना नुकसान होने की संभावना है। ऐसे में किसानों की सालभर की मेहनत तो बर्बाद हो ही गई है, वहीं आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।

किसानों ने की मुआवजा दिलाने की मांग

किसानों ने बताया कि अतिवृष्टि से नींबू के पेड़ों की जड़ें गल जाती है। वहीं गमोसिस रोग, झुलसा रोग के साथ ही फफूंदी की भी मार पड़ती है। नंगला नाथू निवासी किसान जितेन्द्र चौधरी और बोराज निवासी अंकुर सैनी ने बताया कि भारी बारिश से खेतों में जलभराव हो जाता है। इससे जड़ों को नुकसान पहुंचता है और नींबू का पेड़ भी कमजोर हो जाता है। इससे पत्तियां भी पीली पड़ जाती हैं। छाल से गोंद रिसने लग जाता है। आखिरकार पूरा पेड़ ही खत्म हो जाता है। किसानों ने नींबू की फसल की गिरदावरी कराकर राज्य सरकार से मुआवजा दिलाने की मांग की है। सब्जी मंडी आढ़तीया कैलास सैनी व बहादुर सिंह का कहना है कि एक तरफ तो किसानों को नींबू की फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा है, वहीं अतिवृष्टि से फल गिरने से पैदावार भी प्रभावित होती है।

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इस वजह से सूखती है फसल

भारी बारिश से मिट्टी में जलभराव होता है और ऑक्सीजन की कमी से जड़ों में सड़न शुरू हो जाती है, इससे पेड़ कमजोर पड़ जाता है। नींबू पेड़ गमोसिस से पीड़ित हो जाते हैं, यह रोग फंगस से होता है जो खराब जल निकासी वाली मिट्टी में पनपता है, इससे पेड़ की छाल से गोंद रिसता है और पेड़ मर जाता है। वही अतिवृष्टि के बाद पत्तियां पीली पड़ सकती हैं,  जिन पर पानी जैसे धब्बे पड़ते हैं। कुछ समय बाद ये पत्तियां सूखकर गिर जाती हैं और टहनियों में मृत हिस्से बढ़ जाते हैं, इससे पेड़ खराब हो जाता है।

फसल को ऐसे बचाएं

नींबू की फसल को बचाने के लिए किसान बगीचे मे अच्छी जल निकासी सुनिश्चित करें ताकि उसमें पानी न रुके। फंगस रोगों से बचाव के लिए नीम तेल जैसे कीटनाशकों का छिड़काव करके कीटों को नियंत्रित करें, इससे फफूंदी नहीं फैलेगी। इससे बचाव के लिए कॉपर फंगीसाइड दवाई का भी प्रयोग करें।

-डॉ. उदयभान सिंह, डीन, कृषि महाविद्यालय भुसावर

 

 

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