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भंडारे में इस्तेमाल होता है जेसीबी और सीमेंट मिक्सर मशीन का… जानिए कहां है यह मंदिर

अगर हम आपसे पूछे कि जेसीबी मशीन और सीमेंट मिक्सर का इस्तेमाल आपने कहां होते देखा है तो इसका सीधा सा जवाब होगा, मकान बनाने के लिए। पर अपने इस आर्टिकल के जरिए हम आपको इसके इस्तेमाल का एक और तरीका बताने जा रहे हैं जिसे शायद ही आपने आज से पहले देखा हो या सुना हो। मध्य प्रदेश के भिंड में स्थित धार्मिक स्थल दंदरौआ धाम में जब भी विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है तो यहां खाना बनाने के लिए जेसीबी मशीन और सीमेंट मिक्सर का इस्तेमाल किया जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि जब खाना इस अनोखी तकनीक के इस्तेमाल से बनाया जाता है तो कामगारों की तो जरूरत ही नहीं पड़ती होगी। परंतु ऐसा नहीं है, इसके अलावा 400 लोगों की टीम दिन-रात महाप्रसादी के आयोजन में सहयोग देती है।

आखिर क्या है ऐसा दंदरौआ धाम में कि यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा ही रहता है। वैसे तो यहां विराजमान हनुमान जी को लेकर बहुत सी मान्यताएं हैं, लेकिन यहां डॉक्टर की पोशाक पहने हनुमान जी की मूर्ति लोगों को हैरान करने के साथ उनके दुख-दर्द भी दूर करती है।

डॉक्टर हनुमान हैं प्रसिद्ध

लोग यहां विराजमान हनुमान को डॉक्टर हनुमान के नाम से पूछते हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो इस मंदिर के हनुमान स्वयं अपने भक्त का इलाज करने डॉक्टर बनकर आए थे। हनुमान जिसका इलाज करने आए थे वह एक साधु था, जो लंबे समय से कैंसर से पीड़ित था। बताया जाता है कि हनुमान जी ने साधु को डॉक्टर के वेशभूषा में दर्शन दिए इसके बाद साधु पूरी तरह से स्वस्थ हो गया था। इतना ही नहीं चर्म रोगों के इलाज के लिए हनुमान जी की भभूत को भी बेहद कारगर माना जाता है।

सब पीड़ा हर लेते हैं स्वयं हनुमान

लोगों का ऐसा मानना है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं के रोगों का निवारण स्वयं हनुमान जी करते हैं। ऐसा दावा भी किया जाता है कि कैसा भी रोग हो डॉक्टर हनुमान सभी रोग ठीक कर देते हैं। बीमारी से पीड़ित लोग यहां बड़ी तादाद में अपनी अर्जी लगाने आते हैं। सैकड़ों लोग हर साल दुर्लभ बीमारियों से यहां निजात पाते हैं। यही कारण है कि लोग इस स्थान को डॉक्टर हनुमान के नाम से पूजते हैं।

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मशीनों का हुआ इस्तेमाल

मशीनों के इस्तेमाल की शुरुआत बात करें तो ठीक हुए श्रद्धालुओं का द्वारा महाप्रसादी के कार्यक्रम का आयोजन विशाल भंडारे के रूप में करने के कारण हुआ। बताया जाता है कि 100 क्विंटलआलू से सब्जी और 100 क्विंटल दूध से खीर तैयार करने के लिए चमचों का नहीं बल्कि जेसीबी मशीन और मिक्सर मशीन का इस्तेमाल किया जाता है। और तो और भंडारे में बनाई गई सब्जियों को ट्रॉलियों में जेसीबी की मदद से भरा जाता है। जिससे प्रसादी के रूप में बना यह खाना आसानी से वितरित किया जा सके। ऐसे भव्य आयोजन के दौरान न केवल पुरुष हलवाइयों का महिला हलवाइयों का भी बड़ा योगदान रहता है।

400 लोगों की टीम

ऐसे विशाल भंडारे के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए तकरीबन 400 लोगों की टीम दिन-रात काम करती है। भंडारे में सब्जी, पूरी, खीर, मालपुआ जैसे स्वादिष्ट व्यंजनों को 30 से ज्यादा भट्ठियों पर तैयार किया जाता है। इसके अलावा 400 लोगों की टीम अलग-अलग तरह से काम संभालती है ताकि लोगों के बीच प्रसादी का वितरण सुचारू रूप से किया जा सके।

ऐसी ही खबरों के लिए देखें: DemocraticBharat.com

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