– खंडपीठ ने महाधिवक्ता को 28 अक्टूबर तक हाईकोर्ट को अवगत कराने को कहा, जनहित याचिका के दौरान की टिप्पणी
जोधपुर। जोधपुर में राजस्थान राज्य सिविल अपीलेट अधिकरण की स्थाई पीठ के नाम पर पिछले एक साल में सिर्फ 64 दिन की ही न्यायिक कार्यवाही को राजस्थान हाईकोर्ट ने शर्मनाक बताया है। राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ के वरिष्ठ न्यायाधीश डॉ. पीएस भाटी और न्यायाधीश विपिन गुप्ता ने महाधिवक्ता को राज्य सरकार और अधिकरण अध्यक्ष से दिशा-निर्देश लेकर अगली तारीख 28 अक्टूबर तय की है। कोर्ट ने कहा कि अधिकरण की स्थाई पीठ के नियमित क्रियान्वयन की संतुष्टि के बाद ही जनहित याचिका पर अंतिम बहस की सुनवाई की जाएगी। आपको बता दें कि हाईकोर्ट की खंडपीठ राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
पिछले साल 25 दिन और इस साल सिर्फ 39 दिन ही न्यायिक कार्रवाई
राज्य सरकार के महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि गत वर्ष सितम्बर से दिसंबर तक 25 दिन और इस साल जनवरी से अगस्त तक 39 दिन की न्यायिक कार्रवाई जोधपुर पीठ में हुई। उन्होंने कहा कि जनहित याचिका चलने योग्य नहीं होने से इस पर अंतिम बहस ही सुनी जाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि स्टाफ की नियुक्ति और संसाधन पूर्ण होने के बावजूद पिछले एक साल में महज 64 दिन की अल्पावधि की न्यायिक कार्रवाई होना बहुत ही शर्मनाक स्थिति है। कोर्ट ने महाधिवक्ता को इस सम्बंध में राज्य सरकार और अधिकरण अध्यक्ष से दिशा निर्देश लेकर 28 अक्तूबर तक न्यायालय को अवगत कराने को कहा।
स्टाफ की नियुक्ति के बाद भी क्रिन्यान्वित नहीं हुई स्थाई पीठ
जनहित याचिका पर बहस करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद पुरोहित और अधिवक्ता अनिल भंडारी ने कहा कि 19 जुलाई 2022 को खंडपीठ ने जोधपुर में अधिकरण की स्थाई पीठ अधिसूचित करने के राज्य सरकार को निर्देश दिए। इसकी पालना में सरकार ने जोधपुर में अधिकरण की स्थाई पीठ की 4 मई 2023 को अधिसूचना जारी कर दी। साथ ही जोधपुर पीठ के क्षेत्राधिकार में जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर, पाली और बांसवाड़ा संभाग के सभी जिलों को शामिल करते हुए लंबित पत्रावलियों और नई अपीलों की सुनवाई जोधपुर में ही करने का आदेश दिया। इसमें गैर न्यायिक सदस्य तथा स्टाफ की नियुक्ति भी कर दी गई, लेकिन वास्तविक रूप से अधिकरण की स्थाई पीठ जोधपुर में क्रियान्वित नहीं हो पाई। अधिवक्ता पुरोहित और अधिवक्ता भंडारी ने कहा कि इस पर गत 29 जनवरी को भी खंडपीठ ने साफ किया कि अंतिम बहस से पहले जोधपुर में अधिकरण की स्थाई पीठ का वास्तविक रूप से क्रियान्वन करना होगा।