– मंदाऊ के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय का मामला, ग्रामीणों ने स्कूल के लिए दी थी 16 करोड़ की जमीन दी और 3.25 करोड़ भवन पर किए खर्च
जयपुर। शिक्षा विभाग की ओर से 4527 प्रिंसिपलों की तबादला सूची पर बवाल मचा हुआ है। कुछ ऐसा ही मामला बगरू विधानसभा के मंदाऊ गांव में भी देखने को मिला है। बताया जा रहा है कि सांगानेर तहसील के मंदाऊ गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय से प्रिंसिपल अशोक कुमार मीणा का तबादला कर दिया गया है। इस तबादले के विरोध में मंदाऊ गांव के लोग उतर गए हैं। उन्होंने मंगलवार को स्कूल के ताला लगा दिया और प्रिंसिपल के तबादले को निरस्त करने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रिंसिपल का तबादला निरस्त नहीं करने तक स्कूल पर ताला ही लगा रहेगा। आपको बता दें कि ग्रामीणों ने ही स्कूल के लिए 16 करोड़ की जमीन दी और 3.25 करोड़ का भवन भी बनवा दिया। अब उनका कहना है कि प्रिंसिपल का तबादला रद्द नहीं किया गया तो स्कूल का पट्टा भी शिक्षा विभाग को नहीं देंगे।
पहले तीन जगह पढ़ते थे बच्चे, फिर ग्रामीणों ने बनवा दिया आधुनिक भवन

इस बारे में प्रिंसिपल अशोक कुमार मीणा का कहना है कि मंदाऊ गांव के स्कूल में उनकी पोस्टिंग अगस्त 2022 में हुई थी। तब यहां पर सिर्फ 70 बच्चों का ही नामांकन था। स्कूल की इमारत भी जर्जर थी। बच्चों की सुरक्षा के चलते कुछ बच्चों को स्कूल, पंचायत भवन और सामुदायिक केन्द्र में पढ़ाते थे। तब मैंने शिक्षा का स्तर सुधारने और विद्यार्थियों को सुविधाएं दिलाने का बीड़ा उठाया। इसके लिए मैं गांव के हर घर में गया। लोगों को स्कूल के लिए जमीन देने और भवन निर्माण करवाने के लिए प्रेरित किया। उन लोगों को समझाया कि गांव में ही शिक्षा का स्तर सुधारा जाए। निजी स्कूलों में मोटी फीस क्यों दी जाए। ग्रामीणों ने मुझ पर विश्वास किया और करीब 25-30 लोगों ने अपने आबादी पट्टों वाली जमीन स्कूल के लिए दे दी। ग्रामीणों ने करीब 4500 वर्गमीटर जमीन देने के अलावा इस पर 3.25 करोड़ की लागत से 24 कमरों की आधुनिक इमारत भी बनवा दी। इस भवन में एलईडी लाइट, सीसीटीवी कैमरे, पेयजल, शौचालय सहित सभी सुविधाएं मौजूद हैं।
अब 234 हुआ नामांकन, बोर्ड परिणाम भी 100 फीसदी
प्रिंसिपल अशोक कुमार मीणा ने बताया कि मेरे कार्यभार संभालते ही 11 माह में ही स्कूल का नामांकन 234 बच्चों पर पहुंच गया। स्कूल में बोर्ड का परिणाम भी 100 फीसदी रहा है। कई छात्राओं ने बोर्ड में 90 फीसदी से ज्यादा अंक भी प्राप्त किए हैं। स्कूल की जमीन और भवन निर्माण के लिए सरकार से कोई सहयोग नहीं लिया गया। उन्होंने बताया कि सभी ग्रामीण किसान वर्ग से हैं। इन्होंने गांव में ही बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले, इसके लिए तन-मन-धन से सहयोग किया है। प्रिंसिपल का कहना है कि उनका तबादला 300 किलोमीटर दूर भीलवाड़ा के कास्या गांव के पीएमश्री स्कूल में किया गया है।
…तो शिक्षा विभाग के नाम नहीं करेंगे जमीन और स्कूल भवन
मंदाऊ गांव के लोग प्रिंसिपल के तबादले के विरोध में मंगलवार से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने स्कूल के ताला भी जड़ रखा है। ग्रामीणों के साथ ही विद्यार्थी भी धरने पर बैठे हैं। धरनार्थी कैलाश शर्मा का कहना है कि प्रिंसिपल अशोक मीणा के आने से पहले लोग बच्चों को निजी स्कूलों में भेजते थे। फिर प्रिंसिपल ने घर-घर जाकर ग्रामीणों को समझाया और सरकारी स्कूल बनवाने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद सभी ने 4500 वर्गमीटर जमीन स्कूल के लिए दे दी। इसकी वर्तमान में बाजार कीमत करीब 16 करोड़ रुपए है। इसके बाद इस पर 3.25 करोड़ का भवन भी बनवा दिया। प्रिंसिपल ने मेहनत करके गांव में शिक्षा का स्तर सुधार दिया। ग्रामीणों का कहना है कि अभी स्कूल की जमीन और इमारत शिक्षा विभाग के नाम नहीं की है। यदि प्रिंसिपल का तबादला रद्द नहीं किया गया तो स्कूल भवन को सरकार को नहीं देंगे। फिर सरकार अपनी पुरानी इमारत में स्कूल चलाए या फिर कहीं और। हम अपनी जमीन और बिल्डिंग नहीं देंगे। उन्होंने बताया कि हमसे बात करने के लिए सांगानेर नायब तहसीलदार और सीबीओ आए थे। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंप दिया है। अभी तक तबादला रद्द नहीं किया गया है।
मिल चुके हैं कई पुरस्कार, फिर भी मिली सजा

प्रिंसिपल अशोक कुमार मीणा को शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए जयपुर कलेक्टर सम्मानित कर चुके हैं। उन्हें राज्य स्तरीय भामाशाह पुरस्कार भी मिल चुका है। जिला स्तरीय शिक्षक सम्मान के साथ ही नीपा दिल्ली की ओर से भी बेस्ट शिक्षक का अवॉर्ड मिल चुका है। उनका कहना है कि अच्छा कार्य करने के बाद भी उन्हें मलाल सिर्फ इस बात का है कि किस गलती की सजा तबादले के रूप में मिली है।